उत्सुकता रहती है कुछ नया जानने की,
कुलबुलाहट रहती है कुछ समझने की,
पर आज कल मैं सोचता हूं,
जानने समझने से भी क्या होगा?
क्या अंतर्मन का खालीपन कभी दूर हो पाएगा?
क्या मैं वर्तमान में जीना सीख भी पाऊंगा?
नही,
सिर्फ अहम को सुकून मिलेगा और कुछ नही।
उत्सुकता रहती है कुछ नया जानने की,
कुलबुलाहट रहती है कुछ समझने की,
पर आज कल मैं सोचता हूं,
जानने समझने से भी क्या होगा?
क्या अंतर्मन का खालीपन कभी दूर हो पाएगा?
क्या मैं वर्तमान में जीना सीख भी पाऊंगा?
नही,
सिर्फ अहम को सुकून मिलेगा और कुछ नही।
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