में अपनी पूरी कोशिश कर रहा हूं कि ख्याति और सत्ता और वर्चस्व को चखे बिना उस पार पहुंच जाऊं। पर मेरा अहम आड़े आ जाता है कभी-कभी।
मैं यह सोचता था कि किसी चीज से पार पाने का तरीका उससे गुज़र जाने में है। कि उस चीज़ को इतना आज़मा लो, चख लो कि मन ही भर जाए।
पर अब लगता है कि एक और रास्ता है पार पाने का।
अगर इन सब लालसाओं से ऊपर किसी शक्ति से प्रेम हो जाए तो यह सब चीज़ें फींकी लगेंगी, नही?
क्या विचार है आपका?
I am trying my best to reach the other side without tasting fame, power and dominance. But my ego comes in the way sometimes.
I used to think that the way to overcome something is to go through it. That you try and taste that thing so much that you get satisfied.
But now it seems that there is another way to overcome it.
If you fall in love with some higher power above all these desires, then all these things will seem pale, right?
What is your opinion?
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